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Thursday, 24 April 2025, April 24, 2025 WIB
Last Updated 2025-04-25T06:41:33Z

भेड़ागढ़ बैगापारा के जंगल में 7 और 8 अप्रैल की रात करीब 3 हजार पेड़ों की अवैध कटाई की गई जिसमें 18 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं

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बैगापारा-भेड़ागढ़ का जंगल उजड़ा काटे गए पेड़ अब भी उसी हालत में मौके पर पड़े हैं


जंगल में ठूंठ ही ठूंठ, तीन हजार पेड़ काटे, 18 दिन बाद भी कार्रवाई नहीं



बैगापारा- भेड़ागढ़ के जंगल में 7 और 8 अप्रैल की रात करीब 3 हजार पेड़ों की अवैध कटाई की गई। इसमें 2 हजार से अधिक नीलगिरी और लगभग 1 हजार सागौन के पेड़ शामिल हैं। घटना को 18 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पेड़ काटकर जंगल में ही छोड़ दिए गए हैं। सभी पेड़ उसी हालत में जमीन पर पड़े हुए हैं। वन विकास निगम के अधिकारी अब तक मौके पर नहीं पहुंचे हैं। विभाग इसे बड़ी घटना नहीं मान रहा है।


पंडरिया ब्लॉक के वन विकास निगम के कक्ष क्रमांक 1467 और 1468 में यह कटाई की गई। बताया जा रहा है कि इसमें 20 से अधिक लोगों ने मिलकर पेड़ काटे। कटाई के बाद पेड़ों की ठूंठ पर न तो मार्किंग की गई है, न ही हैमर लगाया गया है। इससे अपराधियों के हौसले बढ़े हैं। आसपास के गांवों में भी अब कटाई की घटनाएं बढ़ रही हैं। करीब एक महीने पहले कटे पेड़ों पर भी अब तक कोई निशान नहीं लगाया गया है। कार्रवाई नहीं होने से लकड़ी तस्कर बेखौफ हैं।


कटाई का क्षेत्रफल करीब 15 से 20 हेक्टेयर में फैला है। समतल जमीन पर पेड़ काटे गए हैं, जहां आसानी से खेत बनाया जा सकता है। भेड़ागढ़-बैगापारा में कार्रवाई में देरी के कारण लकड़ी तस्कर बेखौफ हैं। इससे पहले माठपुर,


2 हजार से अधिक नीलगिरी और 1 हजार सागौन के पेड़ों की बलि


 बैगापारा- भेड़ागढ़ के जंगल में बिना अनुमति के काटे गए पेड़ अब भी वहीं पड़े।


15 से 20 हेक्टेयर में अवैध कटाई के बाद तस्कर बेखौफ


गरगरा, जामुनपानी और रुखमी दादर में भी इसी तरह की कटाई हुई थी। वहां भी कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई। अब भेड़ागढ़ में भी वही दोहराया गया। यदि इस बार भी कार्रवाई नहीं हुई तो अन्य इलाकों के जंगलों पर भी खतरा बढ़ेगा।


वन भूमि पर अतिक्रमण का प्रयास किया जा रहा


यह कटाई अतिक्रमण के उद्देश्य से की जा रही है। पेड़ काटकर वन भूमि पर खेती की जा रही है। बड़े पैमाने पर हो रही इस कटाई में विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका है। वन रक्षक का क्वार्टर बना हुआ है, लेकिन वह कभी-कभार ही वहां पहुंचते हैं। यही वजह है कि 18 दिन बाद भी न तो वन पीओआर हुआ है, न ही लकड़ी हटाई गई है। इस पूरे मामले को दबाने की कोशिश में लगे हैं।

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