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मिट्टी से अपनी तक़दीर गढ़ने वाली कबीरधाम की लखपति दीदी, श्रीमती चुन्नी कुम्भकार ने आत्मनिर्भरता की अनोखी मिसाल पेश की है।
बिहान योजना ने उनके हुनर को न सिर्फ़ एक मंच दिया, बल्कि पहचान भी दिलाई - आज वे हज़ारों महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत और सशक्तिकरण की जीवंत कहानी बन चुकी हैं।
कबीरधाम जिले की लखपति दीदी चुन्नी कुम्भकार ने मिट्टी से गढ़ी आत्मनिर्भरता की मिसाल
हरिभूमि न्यूज पंडरिया
सरकार की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान योजना ने नारी सशक्तिकरण की एक नई कहानी लिखी है। इस योजना ने जहाँ हजारों ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता की राह दिखाई है, वहीं बोड़ला विकासखंड के रंगाखारकला गांव की श्रीमती चुन्नी कुम्भकार की प्रेरणादायक यात्रा इस बदलाव की एक जीवंत मिसाल बन गई है। एक समय मिट्टी के साधारण बर्तन बनाकर गुजर बसर करने वाली चुन्नी आज लखपति दीदी के नाम से जानी जाती हैं। श्रीमती चुन्नी कुम्भकार
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की मेहनत यह दर्शाता है कि यदि हुनर को सही मंच और सहयोग मिले, तो ग्रामीण महिलाएँ भी सफलता की बुलंदियां छू सकती हैं। श्रीमती चुन्नी कुम्भकार पहले घरेलू उपयोग के लिए मिट्टी के बर्तन, दीये और मूर्तियाँ बनाकर स्थानीय बाजारों में बेचती थीं। आमदनी बेहद कम थी, जिससे परिवार का खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा था। लेकिन सरकार की बिहान योजना ने उनकी जिंदगी की दिशा ही बदल दी। जब वे गौरी महिला स्व सहायता समूह से जुड़ीं, तो उन्हें प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और बाजार तक पहुंच जैसी अनेक सुविधाएँ प्राप्त हुईं। इससे उन्हें
अपनी कला को निखारने और व्यापक स्तर पर प्रस्तुत करने का अवसर मिला। चुन्नी कुम्भकार ने राज्य व जिला स्तरीय मेलों जैसे भोरमदेव महोत्सव और सरस मेला में भाग लेकर न केवल अपने उत्पादों को नई पहचान दी, बल्कि पारंपरिक मिट्टी शिल्प को भी एक नया बाजार दिलाया। उनकी सालभर की मेहनत रंग लाई और उन्होंने कुल 1 लाख 80 हजार रुपये का विक्रय किया, जिसमें 1 लाख 20 हजार रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया। उनकी यह सफलता यह प्रमाणित करती है कि परिश्रम और योजना का सही संगम आत्मनिर्भरता की सशक्त राह बनाता है।
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