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Thursday, 26 December 2024, December 26, 2024 WIB
Last Updated 2024-12-26T12:06:27Z

दुल्लापुर मंडल में आज वीर बाल दिवस के शुभ अवसर पर मुख्यवक्ता के रुप में रितेश सिंह ठाकुर शामिल हुए

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आज वीर बाल दिवस के शुभ अवसर पर  मुख्यवक्ता के रुप में रितेश सिंह ठाकुर शामिल हुए


देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी द्वारा 2022 से 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रुप में मनाने का फैसला किया गया तब से 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है उसी तारतम्य में आज दुल्लापुर मंडल में वीर बाल दिवस पर


*गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहेबजादे – अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह*– सिख इतिहास में अद्वितीय वीरता और बलिदान के प्रतीक हैं। उन्होंने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।


*अजीत सिंह और जुझार सिंह*


गुरु गोबिंद सिंह जी के बड़े साहेबजादे, अजीत सिंह (18 वर्ष) और जुझार सिंह (14 वर्ष), चमकौर की गढ़ी में मुगलों और उनके सहयोगियों के खिलाफ हुए युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए। इस युद्ध में केवल 40 सिखों ने दस लाख की सेना का सामना किया।

गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने बेटों को धर्म की रक्षा के लिए बलिदान देने के लिए प्रेरित किया। अजीत सिंह ने वीरता से लड़ते हुए शत्रु सेना को भारी क्षति पहुंचाई। उनके बाद जुझार सिंह ने भी वही मार्ग अपनाया और अदम्य साहस का प्रदर्शन किया। दोनों भाई धर्म की मर्यादा को बनाए रखते हुए शहीद हुए।


*जोरावर सिंह और फतेह सिंह*


गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहेबजादे, जोरावर सिंह (9 वर्ष) और फतेह सिंह (6 वर्ष), सरहिंद के नवाब वजीर खान के सामने धर्म परिवर्तन का प्रस्ताव ठुकराते हुए शहीद हुए। उन्हें कैद कर लिया गया और ठंडे मौसम में भूखा-प्यासा रखा गया। जब वे अपने दृढ़ संकल्प पर अडिग रहे, तो वजीर खान ने उन्हें जीवित दीवार में चिनवाने का आदेश दिया।

इस क्रूर दंड को सहते हुए भी दोनों साहेबजादों ने अपनी धार्मिक निष्ठा को बनाए रखा और वीरगति को प्राप्त हुए। उनकी शहादत सिख इतिहास में अमर है और यह दिखाती है कि धर्म और सत्य के लिए त्याग करने में उम्र का कोई बंधन नहीं होता।


*महत्व और प्रेरणा*










चार साहेबजादों की शहादत ने सिख धर्म को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। यह बलिदान सत्य, धर्म और न्याय के लिए अद्वितीय प्रेरणा प्रदान करता है। सिख समुदाय और समस्त मानवता के लिए यह घटना अडिग विश्वास और निष्ठा का प्रतीक है।

आज भी सिख समाज इन वीर बलिदानों को स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजलि देता है। साहेबजादों की शहादत हमें यह सिखाती है कि धर्म और मानवता के मार्ग पर कोई भी त्याग छोटा नहीं होता।

इन्ही सब बातों को विस्तार से बताया गया इस अवसर पर दुल्लापुर मंडल में मुख्यवक्ता के रूप में रितेश सिंह ठाकुर विकास तिवारी अध्यक्ष भाजयुमो मंडल दुल्लापुर, चैतराम पटेल महामंत्री भाजयुमो दुल्लापुर मंडल , राजेंद्र साकत महामंत्री भाजयुमो मंडल दुल्लापुर, हीराराम मरकाम उपाध्यक्ष भाजयुमो दुल्लापुर मंडल ,सुरेंद्र साहू उपाध्यक्ष भाजयुमो मंडल दुल्लापुर ,गिरिज साहू प्रधानाचार्य सरस्वती शिशु मंदिर दुल्लापुर ,अजय साहू मंत्री भाजयुमो दुल्लापुर मंडल,संजय साहू , लालजी साहू, सीताराम साहू, मुकेश प्रजापति,गोवेर्धन निर्मलकर एवम अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे

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